एम.पी. वनमित्र प्रणाली को अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परंपरागत वननिवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 तथा नियम, 2008 एवं संशोधन नियम, 2012, इस अधिनियम के समय रहते और प्रभावशाली कार्यान्वयन के उद्देश्य से विकसित किया गया है। अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परंपरागत वननिवासी समूह के व्यक्तियों/समूहों या गाँवों/पाडों को, अपने-अपने वन अधिकार के मामले सही रूप में और समय रहते दर्ज कराने में आसानी हो, नए और पुराने मामलों की वर्तमान स्थिति की जानकारी हो और वन अधिकारों का टायटल (प्रमाणपत्र) आसानी से प्राप्त किया जा सके, यह इस प्रणाली का उद्देश्य है।

सबसे पहले इंटरनेट ब्राउजर पर जाकर mpvanmitra.mkcl.org इस वेबसाइट पर सर्च करते हुए लॉगिन करें। उपयोगकर्ता, जैसे की ग्राम वन अधिकार समिति, उपखंड स्तर की समिति, जिला स्तर की समिति, सचिव, तहसीलदार, वन अधिकार अधिनियम सुलभक, इन सब के लिए वहाँ पर लॉगीन की सुविधा दी गई है। लेकिन व्यक्तिगत दावेदारों को वहाँ पर नाम दर्ज कराते हुए लॉगिन आयडी प्राप्त करना आवश्यक है ताकि उनके स्वतंत्र लॉगिन द्वारा वे इस प्रणाली का प्रयोग कर सकें।

गांवों के प्रशासनिक प्रमुख सचिव ग्रामपंचायत संबंधित गांवों के पाड़ा /मोहल्ला /टोला की ग्राम वन अधिकार समिति, उपखंड स्तर की समिति का कार्यालय, साथ ही संबंधित सरकारी अधिकरी यह सब इस प्रणाली का प्रयोग कर सकते हैं। अनुसूचित जनजाति या अन्य परंपरागत वननिवासी ग्रामवासी भी व्यक्तिगत वन अधिकार मामलों के लिए इस प्रणाली का प्रयोग कर सकते हैं।

1) पंचायत सचिव अपने लॉगीन से गांव, पाडे/तांडे/टोले/वाड्या/बस्तियाँ यहाँ के ग्राम वन अधिकार समितियों को प्रणाली में दर्ज करेंगे। जहाँ पर वन अधिकार समितियाँ नहीं हैं उन गांवों या पाडों के लिए प्रणाली के माध्यम से समितियाँ गठित करने के लिए पहल करेंगे।

2) व्यक्तिगत दावेदार वेबसाइट पर जाकर नाम दर्ज करेंगे। अपना लॉगीन आयडी और पासवर्ड बनाएंगे। उसकी सहायता से लॉगिन करके वे अपना दावा विधिवत दर्ज करेंगे। उसके लिए आवश्यक प्रक्रिया क्रमश: पूरी करेंगे जैसे कि, दावे की जानकारी भर देना, आवश्यक दस्तावेज डाउनलोड/अपलोड करना आदि।

3) वन अधिकार समितियाँ अपने लॉगिन के द्वारा प्राप्त हुए सारे दावों के दस्तावेजों को सत्यापित करेंगी और हर दस्तावेज के सामने अपनी टिप्पणी लिखेंगी। वन अधिकार मामलों के संदर्भ में आए हुए सारे दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद प्रस्तुत दावे ‘वनमित्र’ के माध्यम से जिला स्तर की समिति को सिफारिश के लिए भेजेंगी।

4) उपखंड स्तर की समिति ने अनुशंचित किए हुए मामलों की जानकारी जिला स्तर की समिति अपने लॉगिन के माध्यम से लेगी। सिफारिश किए गए हर वन अधिकार दावे पर अपने निर्णय को प्रणाली के माध्यम से दर्ज करेगी। मंजूर किए गए हर वन अधिकार मामले का “एमपी वनमित्र” प्रणाली में नमूना प्रमाणपत्र तैयार किया जाएगा। जिला स्तर की समिति इस प्रमाणपत्र के नमूने को डाउनलोड करके उस पर आवश्यक हस्ताक्षर और सील लगाकर उस प्रमाणपत्र को “एमपी वनमित्र” प्रणाली पर अपलोड करेगी।

इस प्रणाली के माध्यम से पात्र ग्रामवासी या गांव / पार साथ ही व्यक्तिगत दावेदारों के लिए मामलों को दर्ज कराने से लेकर वन अधिकार टायटल (प्रमाणपत्र) मिलने तक की प्रक्रिया काफी तेज़ी से होनेवाली है। इसमें व्यक्तिगत दावेदार, ग्राम वन अधिकार समिति, पंचायत सचिव, उपखंड स्तर की समिति और जिला स्तर की समिति इन सबको इस अधिनियम के संदर्भ में अपने अपने काम योजनाबद्ध तरीके से कर पाना आसान होगा। सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी की सहायता से दर्ज किए गए दावों कहीं भी अनिर्णित नहीं रहेंगे। निर्धारित समय में उन पर निर्णय लिए जाएंगे। प्रणाली के माध्यम से होनेवाली सारी प्रक्रिया को विधिवत दर्ज किया जा सकेगा। साथ ही दावों की वर्तमान स्थिति की जानकारी भी मिल सकेगी।

व्यक्तिगत दावेदारों को इस प्रणाली की सहायता से आवेदन करना आसान होगा। आवेदन सीधे प्रणाली में दर्ज किया जाएगा और उसकी रसीद भी पाई जा सकती है। प्रणाली में अपने आवेदन की समीक्षा करवा लेना आसान होनेवाला है क्योंकि उसके आवेदन पर वर्तमान स्थिति में क्या प्रक्रिया हो चुकी है और वह कहाँ अटक गया है इसकी जानकारी दावेदार को उसके लॉगिन में ‘आवेदन की वर्तमान स्थिति’ पर जाकर कुछ पलों में पाना संभव होनेवाला है। कहीं पर चक्कर कांटने नहीं होंगे। संक्षेप में कहा जाए तो नागरिकों की वन अधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त करने की तकलीफ काफी हद तक कम होनेवाली है।

ग्राम वन अधिकार समिति को गांवों के विविध मामलों को दर्ज कराना आसान होनेवाला है। मामलों की पुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेजों को इकठ्ठा करना आसान होनेवाला है। शुरुआत में प्रणाली में दी गई जानकारी के आधार पर भर दिए गए दस्तावेजों के कुछ नमूनों को वहाँ से डाउनलोड करना संभव होनेवाला है। उसमें आवश्यक जानकारी भरके फिर से वहीं पर उन दस्तावेजों को स्कॅन करके अपलोड करना संभव होनेवाला है। मामलों के दस्तावेजों को लेकर तहसील के प्रांत ऑफिस तक जाने की आवश्यकता नहीं रहनेवाली। इससे बार-बार चक्कर कांटने नहीं पड़ेंगे और अपने सारे मामलों की वर्तमान स्थिति उनको अपनी जगह पर मिलनेवाली है। इतना ही नहीं, जिला स्तर की समिति के द्वारा उनके मामले को मंजूर करके वन अधिकार मान्यता प्रमाणपत्र अपलोड करने के तुरंत बाद ग्राम वन अधिकार समिति को उसे अपने लॉगिन से डाउनलोड करना संभव होनेवाला है।

उपखंड स्तर की समिति को सारे मामले सॉफ्ट कापी के रूप में प्रणाली में उपलब्ध होनेवाले हैं जिसके चलते मामलों के सारे दस्तावेज संभालकर रखने की आवश्यकता नहीं रहेगी। मामलों के दस्तावेजों को विधिवत अपलोड किए जाने के कारण प्रणाली के माध्यम से तेज़ी से उनका सत्यापन करना आसान होनेवाला है। साथ ही मामलों के बारे में और सही सूचनाओं के साथ उनको जिला स्तर की समिति के पास सिफारिश के लिए या ग्राम वन अधिकार समिति को पुनर्विचार के लिए भेजना आसान होनेवाला है। वनमित्र ॲप के माध्यम से जीपीएस नपाई कर पाना पहले से ही सरल होने के कारण मामलों के लिए आवश्यकता के अनुसार की जानेवाली जीपीएस नपाई के लिए लगनेवाला सारा समय बचाना संभव होनेवाला है। साथ ही जो रिपोर्टस् और विश्लेषण आवश्यक हैं वह उपलब्ध होनेवाले हैं।

उपखंड स्तर की समिति की तरह जिला स्तर की समिति को भी इस प्रणाली का उपयोग होनेवाला है। इसमें मामले को मंजूरी देने के बाद प्रणाली के माध्यम से संबंधित दावेदारों का प्रमाणपत्र तैयार किया जानेवाला है। उसका नमूना डाउनलोड करके हस्ताक्षर और सील लगाकर उसे अपलोड करने की सुविधा उपलब्ध होने के कारण उसे तुरंत ग्राम वन अधिकार समिति के लॉगिन में उपलब्ध कराया जानेवाला है। इस पूरी प्रक्रिया के कारण जिला स्तर की समिति को समय रहते मामलों पर निर्णय लेना और तुरंत उसका प्रमाणपत्र दावेदारों को देना संभव होगा जिससे बचे हुए समय का उपयोग आगे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए किया जा सकेगा।

जितनी सही जानकारी आप भरेंगे उतनी ही आपके ग्राम वन अधिकार मामलों पर जल्दी निर्णय लेने में सहायता होनेवाली है। जहाँ जहाँ जानकारी लिखना आवश्यक है वहाँ पर * यह चिह्न दिखाया गया है।

‘एमपी वनमित्र’ प्रणाली का उपयोग पूरी तरह से नि:शुल्क है।

बेशक! यह प्रणाली वेबसाइट पर उपलब्ध होगी और साथ ही Google Play Store में जाकर MP Vanmitra नाम से उसका ॲप भी डाउनलोड किया जा सकता है। वेबसाइट और ॲप यह दोनों चीजें आप इंटरनेटवाले मोबाईल फोन पर इस्तेमाल कर सकेंगे।

1) नए/अनिर्णित वन अधिकार मामलों पर समय रहते ही निर्णय लिया जा सके इसके लिए इस प्रणाली को विकसित किया गया है । एमकेसीएल की सहभागिता केवल प्रणाली विकसित करने तक सीमित है। इसलिए मामलों का अनिर्णित होना, उनपर निर्णय लिए जाना या उन्हें अस्वीकार करना इस के लिए एमकेसीएल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

2) यह प्रणाली और उसका उपयोग अपने मोबईल फोन पर भी आसानी से किया जा सकता है।

3) प्रणाली का उपयोग करते समय कभी-कभी अचानक से कुछ तकनीकी दिक्कतें आ सकती हैं। उस समय जल्द से जल्द समाधान पाया जा सके और आपका काम कहीं भी अटक ना जाए इसके लिए आवश्यक सावधानी बरती जाएगी।